Swarnakarshan Bhairav Mantra To Attract Wealth, अपार धन, समृद्धि, ऐश्वर्य, यश, कीर्ति प्राप्त करने हेतु दुर्लभ स्वर्णाकर्षण भैरव मंत्र साधना......
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भैरव भगवान शिव के द्वादश स्वरूप हैं। मार्गशीर्ष कृष्ण अष्टमी को भगवान भैरव का प्रादुर्भाव हुआ। भगवान भैरव के तीन प्रमुख रूप हैं- बटुक भैरव, महाकाल भैरव और स्वर्णाकर्षण भैरव। "स्वर्णाकर्षण-भैरव" को धन-धान्य और सम्पत्ति का अधिष्ठाता माना जाता है | शास्त्रानुसार यह कहते है की आर्थिक स्थिति सुधारने हेतु जब कोई भी पूजा पाठ, तंत्र, मंत्र, यन्त्र, यज्ञ, हवन, साधना, जाप कार्य न करे, आर्थिक स्थिति दयनीय होती चली जाए, कर्ज का बोझ बढ़ता चला जाए और कोई रास्ता न दिखाई दे तब स्वर्णाकर्षण-भैरव मंत्र का जाप करना चाहिए । यह कलयुग का अमोघ वरदान है | ऐसा मानते हैं कि इस मंत्र व श्री भैरव जी की जन्म अष्टमी का व्रत गणेश, विष्णु, यम, चंद्रमा, कुबेर आदि ने भी किया था और इसी व्रत के प्रभाव से भगवान विष्णु लक्ष्मीपति बने, अप्सराओं को सौभाग्य मिला और कई राजा चक्रवर्ती बने। यह सभी कामनाओं की पूर्ति करने वाला यह मंत्र व भैरवाष्टमी का व्रत कहा गया है।