Duration 1:40

बाड़मेर में भारतीय बनी कविता बाई को अपनी माँ और भाई की फिक्र, बोली उन्हें भी मिले वीज़ा

521 356 watched
0
2.6 K
Published 2019/03/08

बचपन मे पाकिस्तान के अमरकोट की गलियों में पली बढ़ी कविता बाई बरसो पहले सात फेरे लेने के बाद सिंध से हिंदुस्तान आ गई। यहाँ बरसो तलक रहने के बावजूद भी माथे पर शरणार्थी का तमगा रहा। सिंध से हिन्द में रहने के लिए पक्की छत तो मिल गई लेकिन एक हिंदुस्थानी को मिलने वाली तमाम सुविधाओं इनसे दूर ही थी। शुक्रवार की रोज बाड़मेर जिला कलक्टर हिमांशू गुप्ता ने कविता बाई को हिंदुस्तानी होने का गौरव प्रदान किया। खुशी से आँखों मे तर आये आँशुओ के बीच कविता बाई बताती है कि यहाँ रहने के लिए जगह मिल गई लेकिन सुविधाएं दूर थी अब नागरिकता मिल गई है तो बेहद खुशी है। कविता बाई बताती है कि उनके माता भाई पाकिस्तान में है उनके द्वारा वीज़ा के लिए दरख्वास्त लगाई गई है। कविता बाई को अपने माता पिता के वीज़ा की फिक्र है। वह देश की सरकार से गुजारिश करती है जो लोग सिंध से हिन्द में आकर बसना चाहते है उन्हें जल्द से जल्द भारतीय नागरिकता मिले ताकि वह फक्र से हिंदुस्तानी बनकर रह सके।

Category

Show more

Comments - 138